Candlestick Pattern: कैंडलस्टिक चार्ट एक तरह से प्राइस मूवमेंट को समझने के लिए उपयोग होने वाला चार्ट है, जो शेयर बाजार, क्रिप्टो, कमोडिटी या अन्य किसी भी प्रकार के फाइनेंशियल मूवमेंट को समझने में मदद करता है। यह एक बहुत ही पोपुलर और प्रभावी चार्ट है, जिसका बड़े पैमाने पर फाइनेंशियल मार्केट में प्राइस मूवमेंट को समझने के लिए किया जाता है।
कैंडलस्टिक पैटर्न क्या है?
कैंडलस्टिक पैटर्न या चार्ट एक टेक्निकल टूल है, जिसमें एक समय सीमा के अंदर अप और डाउन प्राइस मूवमेंट को दर्शाया जाता है। इस पैटर्न की मदद से भविष्य में होने वाली प्राइस मूवमेंट का अंदाजा लगाया जाता है। इस पैटर्न का सबसे पहले उपयोग 18वीं सदी में जापानी व्यापारियों ने किया था।
वे उस समय में चावल की कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव को समझने के लिए कैंडल बनाते थे। धीरे-धीरे यह दुनिया में प्रसिद्ध होता गया और इसके बड़े पैमाने पर उपयोग होने लगा। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रत्येक कैंडल एक कहानी कहती है। किसी कैंडल को देखते समय, इसे खरीदारों और विक्रेताओं के बीच एक प्रतियोगिता के रूप में देखना सबसे अच्छा होता है।
कैंडलस्टिक पैटर्न तकनीकी ट्रेडिंग टूल हैं जिनका इस्तेमाल सदियों से कीमतों में होने वाले बदलाव का अनुमान लगाने के लिए किया जाता रहा है। हालांकि अभी भी इसमें कुछ अपवाद है, क्योंकि यह सटीक प्राइस मूवमेंट का अंदाजा लगाने में नाकाम है। यह केवल संभावित अनुमान बताता है, जिसकी मदद से केवल प्राइस में उतार-चढ़ाव का अनुमान लगाया जाता है।
Candlestick Pattern कैसे बनता है?
एक कैंडलस्टिक पैटर्न निश्चित समयावधि (जैसे 1 मिनट, 15 मिनट, 1 घंटा, 1 दिन आदि) में किसी वित्तीय बाज़ार (जैसे शेयर, फ़ॉरेक्स, क्रिप्टो) के प्राइस में होने वाले उतार-चढ़ाव से बनता है। कैंडलस्टिक बनने के चार मुख्य घटक होते हैं, Open, Close, High और Low।
- Open: वह प्राइस जब कोई सिक्योरिटी उस अवधि में ट्रेड करना शुरू करती है।
- Close: वह प्राइस जब कोई सिक्योरिटी उस अवधि में ट्रेड करना बंद करती है।
- High: उस टाइम पीरियड के दौरान पहुंची उच्चतम कीमत।
- Low: उस टाइम पीरियड के दौरान पहुँची निम्नतम कीमत।
अब हम थोड़ी आसान भाषा में समझते हैं, कि आखिर एक कैंडलस्टिक पैटर्न बनता है-
मान लीजिए हमने 15 मिनट का टाइम पीरियड लिया है, इसमें हम समझना चाहते है कि इस दौरान किसी भी सिक्योरिटी के प्राइस में कैसे उतार-चढ़ाव हुआ है। इसके लिए सबसे पहले Open Price दर्ज किया जाता है, जिसके बाद इसमें प्राइस मूवमेंट देखने को मिलता है, और हम Low और High Price को दर्ज करते हैं।
जब यह टाइम पीरियड खत्म हो जाता है, तो इसके बाद Closing Price को दर्ज किया जाता है। फिर, इन मानों का उपयोग करके एक कैंडलस्टिक तैयार की जाती है। मान लीजिए 15 मिनट की कैंडलस्टिक में:
- Open– ₹100
- High- ₹110
- Low- ₹95
- Close- ₹105
तो इसमें Open और Close प्राइस से एक कैंडल तैयार होती है, वहीं इसमें High और Low प्राइस से Wick तैयार होती है, जिसे हमने नीचे चित्र में अच्छे से समझाया है। इन सभी चारों घटकों को मिलाकर एक कैंडलस्टिक बनता है।

अब समझ गए होंगे की एक कैंडलस्टिक पैटर्न कैसे बनता है। लेकिन यहाँ आपने दो तरह की कैंडलस्टिक देखी है, जो लाल और हरे रंग की है। इन्हें Bullish Candlestick और Bearish Candlestick कहते हैं, जिनकी परिभाषा इस प्रकार है-
- Bullish Candlestick: एक बुल्लिश कैंडलस्टिक तब बनती है, जब निश्चित समयावधि में प्राइस में बढ़ोतरी दर्ज की जाती है। यानी इस कैंडलस्टिक में क्लोज प्राइस, ओपन प्राइस से अधिक होता है। इस तरह की कैंडलस्टिक को अक्सर हरे रंग में दर्शाया जाता है।
- Bearish Candlestick: वहीं Bearish Candlestick तब बनती है, जब निश्चित समयावधि में प्राइस में गिरावट दर्ज की जाती है। यानी इस कैंडलस्टिक में ओपन प्राइस, क्लोज प्राइस से अधिक होता है। इस तरह की कैंडलस्टिक को अक्सर लाल रंग में दर्शाया जाता है।
Next…… (कैंडलस्टिक चार्ट कैसे काम करता है?)
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